Nehru Memorial Museum And Library: जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी का एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकारना, बदनाम करना और नष्ट करना है।
Nehru Memorial Museum And Library: नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम अब आधिकारिक तौर पर बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कर दिया गया है। इस बारे में पहले ही निर्णय लिया जा चुका था, लेकिन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इसे बदल दिया गया। अब इसे लेकर कांग्रेस की ओर से प्रतिक्रिया सामने आई है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे लेकर पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने पीएम मोदी पर नेहरूवादी विरासत को खारिज करने का आरोप लगाया।

नेहरूवादी विरासत को नकारने की कोशिश-जयराम
नेहरू मेमोरियल का नाम बदलने के बारे में जयराम रमेश ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, आज से एक प्रतिष्ठित संस्था को नया नाम मिला है, विश्व प्रसिद्ध नेहरू स्मृति संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) प्रधानमंत्री स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय बन गए हैं। पीएम मोदी के पास भय और असुरक्षा का बड़ा डिब्बा है। खासकर जब हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवारत प्रधानमंत्री की बात आती है तो उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और नेहरूवादी विरासत को नकार, विकृत, बदनाम और नष्ट करना होता है। उन्होंने N को मिटा दिया है और इसे पी से बदल दिया है कि p वास्तव में नरसिज्म और अपमानित के लिए है।
From today, an iconic institution gets a new name. The world renowned Nehru Memorial Museum and Library (NMML) becomes PMML—Prime Ministers’ Memorial Museum and Library.
Mr. Modi possesses a huge bundle of fears, complexes and insecurities, especially when it comes to our first…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 16, 2023
जयराम रमेश ने अपने ट्वीट में आगे लिखा कि इन सबके बावजूद वे भारतीय राष्ट्र-राज्य की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदारवादी बुनियाद तैयार करने में नेहरू के महान योगदान को कभी भी स्वतंत्रता आंदोलन और उनकी महान उपलब्धियों के लिए नहीं छीन सकते। अब मोदी और उनके समर्थक हमले कर रहे हैं। लगातार हमले के बावजूद जवाहर लाल नेहरू की विरासत दुनिया के सामने रहेगी और वो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे.
आइए आपको बताते हैं कि इस साल जून में नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलकर पीएम म्यूजियम एंड लाइब्रेरी करने का निर्णय लिया गया था। इसे सभी प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय बनाने के बाद कार्यकारी परिषद ने अपना नाम प्रधानमंत्री के संग्रहालय और पुस्तकालय में बदलने का फैसला किया।